ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी उससे आलिंगन करके मिलते हैं !
तुम निर्भयतापूर्वक अनुभव करो कि मैं आत्मा हूँ । मैं अपनेको ममता से बचाऊँगा । बेकार के नाते और रिश्तों में बहते हुए अपने जीवन को बचाऊँगा । पराई आशा से अपने चित्त को बचाऊँगा । आशाओं का दास नहीं लेकिन आशाओं का राम होकर रहूँगा । ॐ … ॐ … ॐ …
मैं निर्भय रहूँगा । मैं बेपरवाह रहूँगा जगत के सुख दु:ख में । मैं संसार की हर परिस्थिति में निश्चिन्त रहूँगा, क्योंकि मैं आत्मा हूँ । ऐ मौत ! तू शरीरों को बिगाड़ सकती है, मेरा कुछ नहीं कर सकती । तू क्या डराती है मुझे ?
अधिक पढ़ें (Read more)>>लेबल: इश्वर की ओर, Ishwar ki aur