रविवार, जनवरी 08, 2023

लक्ष्य ये बनायें फिर सफलता के पीछे आप नहीं सफलता आपके पीछे भागेगी



ओ..........म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म...... ॐ शांति।
 जीभ दांत के मूल में, श्वास अंदर जाता है देखो, बाहर आता है गिनो, कितना भी चंचल मन होगा शांत होने लगेगा । ध्यान, भजन, जप में बरकत आयेगी। आत्म कुंभ में आत्म तीर्थ में जाने में साधक सफल हो जाता है। 
ओम्म्म् नमो भगवते वासुदेवाय.... वासुदेवाय.... वासुदेवाय....
ओम्म्म् नमो भगवते वासुदेवाय

एक सम्राट ने अपने एक विश्वासपात्र युवक को सम्मान समारंभ से सम्मानित किया और कहा कि युवक तुमने थोड़े ही दिनों में मेरा विश्वास संपादन किया है और तुमने राज-काज के काम में बड़ी कुशलता और सच्चाई दिखाई। मैं तुम पर बहुत खुश हूँ, तुम जो चाहो मेरे से मांग लो। आज तुम्हारा सम्मान समारंभ है। मुंहमांगा इनाम मांग लो , मुंहमांगी चीज मांग लो हां...।
तुम जो मांगोगे बिना रोक-टोक के तुम्हे दे देता हूँ, दिल खोल के मांगो । 

    उस युवक ने मुंडी हिलाई। बोले राजन! मैं आपसे माँगूं ऐसी चीज आपके पास है ही नहीं। सारी सभा में सन्नाटा छा गया।

     मेरी सभा में, मेरे राज्य में कौनसी चीज की कमी है? मेैं तुम्हे आधा राज दे सकता हूँ, तुम्हे शादी करा सकता हूँ, ललनाएं तुम्हारी सेवा में रख सकता हूँ ,तुम्हे रथ दे सकता हूँ, हीरे-जवाहरात दे सकता हूँ, आधा राज्य दे सकता हूँ। मैं तुम पर बहुत खुश हूँ, मैं सब-कुछ दे सकता हूँ । बोलो... माँग लो , देर ना करो, संकोच ना करो।

     युवराज ने कहा : राजन ! जो मुझे चाहिए वो आपके पास नहीं है। आप राज्य दे सकते हैं, भोग दे सकते हैं, ललनाएं दे कर विकारी जीवन दे सकते हैं, नर्तकियां दे कर मनोरंजनी जीवन दे सकते हैं, महल दे कर शरीर को ऐश-आराम दे सकते हैं। मनोरंजन जीवन का उद्देश्य नहीं है राजन! विलास जीवन का उद्देश्य नहीं। मन की शांति और परमात्मा का ज्ञान... ये आप के पास नहीं तो आप मुझे क्या देंगे! आप मेरे शुभचिंतक है....धन्यवाद, लेकिन सच्चे मित्र तो सतगुरु होते है। ऐसा कोई सतगुरु आपके ध्यान में हो तो बताइए।

     राजा भोज खोज करते-करते उस युवक के निमित स्वयं भी सतगुरु के संपर्क में आने लगे और राजा भोज बड़े धर्मात्मा, संतप्रेमी बन गए। 
        जोक्स और मनोरंजन जीवन का लक्ष्य नहीं है । थोड़ी देर के लिए कभी थोड़ा....। ऐसे तो सुरेश भी बताते हैं । एक आदमी काँप रहा था । 
अरे ! बोले : क्या नाम है तेरा ?
बोले : मेरा नाम शेरसिंह है। 
तेरे बाप का नाम क्या है ?
बोले : शमशेर सिंह । 
बोले : कहां रहता है?
बोले : शेरों वाली गली में । 
तो अभी यहां क्यों खड़ा है, कांपता है?
बोले : सामने कुत्ता खड़ा है वो, डर लगता है।
मनोरंजन तो हो गया लेकिन है कपोलकल्पित, है तो कल्पना। शेरसिंह, शमशेर सिंह और शेरों वाली गली में रहता हूँ। तो ये जोक्स बनाए जाते है झूठे क्योंकि हम झूठ में रहते है तो झूठी बात हमारे मन को जल्दी मजा देती है लेकिन झूठ में कब तक रहोगे आखिर सत्य में ही तो सत्संग के द्वारा आया जायेगा ना।

https://youtu.be/EGCULAKqevE

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