गुरुवार, दिसंबर 29, 2011

धोबी का धमाल, हरि बोल हरि बोल


चैतन्य महाप्रभु गौरांग भक्तों के साथ कीर्तन करते करते नदी किनारे जा निकले..
नदी किनारे एक धोबी हुश हुश करते हुए कपडे धो रहा था
गौरांग को क्या सूझी कि धोबी को बोले हुश हुश क्या करता है?..हरि   बोल हरि बोल

धोबी बोलाबाबा तुम्हारे साथ मैं  नाचूँगा तो मेरे कपडे कौन धोएगा?..
रोजी रोटी कौन करेगा ?
आप तो बाबा लोगों का ठीक है हरि बोल हरि बोल
मैं  हरि बोल करूंगा तो मेरा धंधा कौन करेगा..

गौरांग बोलेतेरा धंधा तो मैं  कर लूं .तू हरि बोल..लाओ कपड़ा

गौरांग महा प्रभु कपड़ा धोते-हुश करते ..
और धोबी बोलता हरि बोल..हुश!–हरिबोल..हुश!–हरि बोलहुश!—-हरि बोल.. 
हुश हुश करते करते धोबी के सारे पाप हुश हो गएधोबी को तो हरि बोल का रंग लग गया!..बोला अब तो बाबा आप के साथ ही रहूंगा 
हरि बोल हरि बोल करूंगा मैं  तो..हरि बोल.. हरि बोल

गाँव में खबर फैली कि धोबी तो बावरा हो गया..
बाबा लोगों के साथ हरि बोल हरि बोलकर रहा..धोबी की पत्नी भी  गयी..

बोली..  रसूल के अब्बा..
धोबी बोले  ‘हरि बोल!’
धोबी की पत्नी बोली.. ‘ऐ जुनेद के अब्बा ……’
धोबी बोले  ‘हरि बोल!’

पत्नी बोली,
ये क्या करते हो?’.. धोबी ने ज़रा हाथ लगाया तो पत्नी भी बोल पड़ी : हरिबोल!हरि बोल!हरि बोल!…

गाँव के लोग बोले बाई वो तो दीवाना हो गया तुम क्यों ऐसा करती हो..
दूसरी बाई ने धोबी की पत्नी के हाथ पकड़ के समझाया..
तो  वो बाई भी लग गयी हरि बोल हरि बोल करने….
तीसरे भाई ने रोका तो वो भी हरि बोल हरि बोल करने लग गया..

गाँव के जो भी उन को रोकने आते वो हरि बोल हरि बोल के कीर्तन में रंग जाते..
जैसे संक्रामक रोग छूने वाले को लग जाता ऐसे इस हितकारी और 
पवित्र भगवान के नाम की मस्ती ने  गाँव वालों को झूमा झूमा कर 
ऐसे पवित्र कर दिया कि इतिहास बोलता है कि वो धोबी धन्य रहा होगा 
जिसने संत के दर्शन से हरि बोल करते हुए सारे गाँव को पवित्र करदिया!


हरि किस को बोलते पता है
जो हर जगहहर देश में हर काल मेंहर वस्तु मेंहर परिस्थिति में  जो परमेश्वर मौजूद है 
उसी का नाम हरि है और उस का स्मरण करने से पाप ताप शोक दुःख हर लिए जाते है.. कैसा भी बीमार आदमी होउस को हरि  की साधना दे दो.. चंगा होने लगेगा बिलकुल पक्की बात है..

 

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